कल सुने गजब की बात बनी
सुबहो तक घिस घिस रात छनी
जब कोर चंदनिया हांफ़ गई
चालू है दुनिया , भांप गई ..
सुनते हैं खूब सताया था
फ़िर भी तो नहीं मनाया था
बिन कपड़ा लत्ता कांप गई
चालू है दुनिया , भांप गई ..
होंठन से होंठन चाट गई
जोबन से हारी खाट गई
दांतों से निसानी छाप गई
चालू है दुनिया , भांप गई ..
कल कुछ भी नहीं बिचारे थे
सुनते हैं मुए उंघारे थे
है कहां कहां तिल नाप गई
चालू है दुनिया , भांप गई ...
सुनते हैं कल मजबूरी थी
जी ठंड कड़ाके पूरी थी
तंदूर बदन के ताप गई
चालू है दुनिया , भांप गई .
सुबहो तक घिस घिस रात छनी
जब कोर चंदनिया हांफ़ गई
चालू है दुनिया , भांप गई ..
सुनते हैं खूब सताया था
फ़िर भी तो नहीं मनाया था
बिन कपड़ा लत्ता कांप गई
चालू है दुनिया , भांप गई ..
होंठन से होंठन चाट गई
जोबन से हारी खाट गई
दांतों से निसानी छाप गई
चालू है दुनिया , भांप गई ..
कल कुछ भी नहीं बिचारे थे
सुनते हैं मुए उंघारे थे
है कहां कहां तिल नाप गई
चालू है दुनिया , भांप गई ...
सुनते हैं कल मजबूरी थी
जी ठंड कड़ाके पूरी थी
तंदूर बदन के ताप गई
चालू है दुनिया , भांप गई .