Tuesday, October 20, 2009

बहुत दिनों के बाद ....सजनिया

बहुत दिनों के बाद सजनिया ,
कहा किसी ने कानों में
मिसरी वाली बातें भोली
'मानों या ना मानों ' में
बहुत दिनों के बाद बलम जी ,
हैरानी में 'फुरसत' है
सिले पड़े हैं , बदन, नहीं जी ,
बित्ता भर भी फ़ुरकत है !

बहुत दिनों के बाद , बदन में ,
दर्द उठा है टूटा सा
राणा जी के काँधे पर है ,
दांत किसी का छूटा सा

बहुत दिनों के बाद चले वो ,
बौरानी-बौरानी है
बिना पिए ही झूम रही है ,
हैरानी-हैरानी है

बहुत दिनों के बाद , फसल से ,
खिले बदन के रोए हैं
घुलते-घुलते होठों में कुछ ,
सौ-सौ चुम्बन खोए हैं

बहुत दिनों के बाद शहर के ,
तापमान में गर्मी है
सूख गया है बदन , आज बस ,
दो होंठों में नरमी है

बहुत दिनों के बाद , हिचकियों से
अब थोड़ी राहत है
आँख मले , हैरान ख़ुदा, कि
किन्नी भोली चाहत है

बहुत दिनों के बाद तुम्हारी ,
बाहों में हम सोए हैं
आज अठन्नी जैसे आंसू
हंसी-खुशी में रोए हैं

बहुत दिनों के बाद , हुआ है यकीं ,
'अजी हम ज़िंदा हैं ! '
एक कुड़ी है , नाम मुहब्बत ,
इश्क़ अभी बाशिंदा है !

बहुत दिनों के बाद हिया में ,
धड़कन नहीं , हरारत है
बंद पड़ गयी धड़कन कब की ,
कुछ तो हुई शरारत है....

बहुत दिनों के बाद सजनिया ...

Tuesday, October 13, 2009

सज़ा -ए-आफ़ता...

सज़ा -ए-आफ़ता हैं , गिरफ्तार हैं सनम
हम फसाद-ए-इश्क़ तड़ीपार हैं सनम

एक रोग , एक मर्ज़ ही सियाने हैं
बाकी धंधे निरे चिड़ीमार हैंगे हम

दुनियादारी की गणित में मूर्ख है 'सचान'
दिल्लगी के सिवा उसे कुछ नहीं हज़म

जितनी चाहे उतनी मुहब्बत कराइए
कोई हरा नोट नहीं इश्क़ का ख़सम

तोहमतें लगा लो या जी कहो काइयां
साग , रोटी , झोपड़े दो कौड़ी के वहम

अम्मियों की जूतियों की हमें फ़िक्र क्या
भांग तगड़ी इश्क़ की , कवारे हैं सनम

जान गए , जान के हुए हैं बेशरम
इश्क़ खुदा , खुदा इश्क़ , मिट गए वहम

जो भी चाहे समझो , अपनी राय दीजिए
हमपे कौन से उधार हैं तेरे करम