कल एक कत्ल हुआ है
एक शायर का
सुबूत के नाम पर
एक नज़र पड़ी मिली थी
जिसकी शकल किसी खंज़र से
काफ़ी कुछ मिलती सी थी
मुस्कुराती सी लाश की धड़कनें
रफ़्तार के नए गुमान में
अभी तक शायर के सीने पर
तालियां दे रही थीं
बेचारे की गूंगी कलम की ज़ुबान
किसी के लबों से सिली हुई
पाई गई ..
खैर..
अब उसकी नज़्में
सनाथ हो गई हैं
कुछ मायनों में अनाथ भी
स्याही ने खुशी खुशी
पन्नों का सफ़ेद वैधव्य त्याग दिया है
बेचारे के शब्दों का कुनबा
असंख्य से घट कर
ढ़ाई मात्र रह गया
कल्पना के पर शायर ने
कल ही तो कुतरे हैं
अधूरी पड़ी गज़लें खुद ही
अपना अन्त बांछा करती हैं
इर्शादों का टोटका भी
उसे बचा नहीं पाया
अर्ज़ की फ़ुरसत उसे रही नहीं
शुक्रिया की तहज़ीब भी उसने
कल ही तो त्यागी है
बेचारा शायर आजकल
पन्ने फ़ाड़ता फ़ेंकता रहता है
अपने अभागे मिसरों की चिंदियां
उसे सुकून देने लगी हैं
सुनने में आया कि
कल उसको
इश्क़ हो गया ....
शहर भर में उसे कोई
ठीक ठीक पहचान तो नहीं पाया
लेकिन मौका-ए-वारदात पर मुस्कुराती
गोल गोल आंखों वाली
एक चश्मदीद मोहतर्मा
उसका नाम 'निखिल' बताती हैं...
एक शायर का
सुबूत के नाम पर
एक नज़र पड़ी मिली थी
जिसकी शकल किसी खंज़र से
काफ़ी कुछ मिलती सी थी
मुस्कुराती सी लाश की धड़कनें
रफ़्तार के नए गुमान में
अभी तक शायर के सीने पर
तालियां दे रही थीं
बेचारे की गूंगी कलम की ज़ुबान
किसी के लबों से सिली हुई
पाई गई ..
खैर..
अब उसकी नज़्में
सनाथ हो गई हैं
कुछ मायनों में अनाथ भी
स्याही ने खुशी खुशी
पन्नों का सफ़ेद वैधव्य त्याग दिया है
बेचारे के शब्दों का कुनबा
असंख्य से घट कर
ढ़ाई मात्र रह गया
कल्पना के पर शायर ने
कल ही तो कुतरे हैं
अधूरी पड़ी गज़लें खुद ही
अपना अन्त बांछा करती हैं
इर्शादों का टोटका भी
उसे बचा नहीं पाया
अर्ज़ की फ़ुरसत उसे रही नहीं
शुक्रिया की तहज़ीब भी उसने
कल ही तो त्यागी है
बेचारा शायर आजकल
पन्ने फ़ाड़ता फ़ेंकता रहता है
अपने अभागे मिसरों की चिंदियां
उसे सुकून देने लगी हैं
सुनने में आया कि
कल उसको
इश्क़ हो गया ....
शहर भर में उसे कोई
ठीक ठीक पहचान तो नहीं पाया
लेकिन मौका-ए-वारदात पर मुस्कुराती
गोल गोल आंखों वाली
एक चश्मदीद मोहतर्मा
उसका नाम 'निखिल' बताती हैं...
5 comments:
क्या कहें!!!
हम जैसे शायर तो बिना इश्क में पड़े हीं प्यार-मोहब्बत की बातें लिखा करते हैं , लेकिन सोचिये अगर कोई शायर इश्क में पड़ जाए तो उसका क्या हाल होगा!
सचमुच का हमारा भी पोस्टमार्टम हो गया। committed होने की बधाईयाँ।
-विश्व दीपक ’तन्हा’
2nd part likho.... aagne dekhna hai fir kya hua.... aur gol gol aankhon wali mohtarma ka bhi bakhaan kia jaaye....
सुनने में आया कि
कल उस शायर को
इश्क़ हो गया ....
bas ye teen lines nahi hotin...to gazab ka surprise value tha aapke kavita me...bilkul fresh writing style.... lab tak aayi hui baat jaise....jise har koi samajh raha aur fir bhi poshida rakh kar baat karne ka jo maza hai..use bahut hi khoobsurat tareke se pesh kiya hai aapne.
Hats Off !! Hail !! Hail ! Hail !
No words for this one...Your writing style has alwayz impressed everyone. But this is a unique one from you where you have mesmerised people with your beautiful imagination rather than Bombastic Vocabs !! :)
Badhaayian to de hi chuke hain...Just Best Wishes for life.... :)
bahut sahi likhe ho beta
you are artist?
I like artist
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