Saturday, June 13, 2009

चालू है दुनिया , भांप गई ..

कल सुने गजब की बात बनी
सुबहो तक घिस घिस रात छनी
जब कोर चंदनिया हांफ़ गई
चालू है दुनिया , भांप गई ..

सुनते हैं खूब सताया था
फ़िर भी तो नहीं मनाया था
बिन कपड़ा लत्ता कांप गई
चालू है दुनिया , भांप गई ..

होंठन से होंठन चाट गई
जोबन से हारी खाट गई
दांतों से निसानी छाप गई
चालू है दुनिया , भांप गई ..

कल कुछ भी नहीं बिचारे थे
सुनते हैं मुए उंघारे थे
है कहां कहां तिल नाप गई
चालू है दुनिया , भांप गई ...

सुनते हैं कल मजबूरी थी
जी ठंड कड़ाके पूरी थी
तंदूर बदन के ताप गई
चालू है दुनिया , भांप गई .

7 comments:

वर्तिका said...

वाह! बहुत सही है... बोले तो एकदम class...

m.s. said...

exemplary

हरकीरत ' हीर' said...

कल सुने गजब की बात बनी
सुबहो तक घिस घिस रात छनी
जब कोर चंदनिया हांफ़ गई
चालू है दुनिया , भांप गई ..

कुछ अलग अंदाज़ है ....!!

Anonymous said...

aah...........
romantic-naughty-arousive....:P
चालू है दुनिया , भांप गई ..
samajh gaye.....:P

Varun said...

Tod fod kar rahe ho be. Crazy one, this! Bahut hi badhiya.....

vakrachakshu said...

@ ALL

behad shukria ji :)

Unknown said...

this is awesome!!
isme jo sharaarat wala taste hai
matlab bas gazzab hai