Thursday, January 1, 2009

बेसर

मेरी सोनजुही-पीला केसर
मेरी छनक धनक की नथ बेसर
मेरी अंखियों बसी,घुली हैरानी
बतियन मिसरी , दादी, 'नानी'
चटक रंग अल्हड़ छोरी
मेरे प्यार पगी कोरी कोरी
मेरी एक ख़ुदा , मेरी एक ख़ुदाई
मीर गज़ल , खैय्याम रुबाई
ओस-पलाशों की ओ छिटकन
मन्नत-मिन्नत-आलिंगन
तू जैसी है वैसी ही बनकर
पोने पोने पैरों चलकर
बिना तकल्लुफ़, बिना अर्ज़
बस हिया लगाए एक मर्ज़
बस धड़कन की ही तर्ज़-तर्ज़
दो चुम्बन प्यारे खर्च-खर्च
मेरे होंठो पर सिलने आ जा
सब छोड़ छाड़ रहने आ जा
'वो' कानों में कहने आ जा
तू जैसी है वैसी बनकर..
सब छोड़ छाड़ रहने आ जा ...

1 comment:

Praharsh Sharma said...

Abhi 4-5 maheena aap hi udhar jaa kar rehlein..Uske ek saal baad tak bhi shayad apko hi rehna pade.. Fir bula leejeyega.. :P :P :P