arz-irshaad-shukriyaa
Thursday, March 13, 2008
काफ़िर कबरी
कोमल कपोल
कमनीय केश
करखा काले कजरारे
कातर कन्चुक
कबरी काफ़िर
कर कन्गन
कनक कटारी
कटि की कातिल कामुकता
कानन कर्णफ़ूल किलकारे
किंचित कुंचित केश
कांच की किरचों के
कर्पूर कमल की कान्ति
किशोरी;
काहे कत्ल कमाये??
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अल्हड़ छोरी (हक़ीकत)
मेरा कुछ सामान ..
"मैं शब्द हूं"
पर कहने को..
शिद्दत
काश्मीर
बिना तवज़्ज़ो अर्ज़..
.........फ़ुरक़त.......
काफ़िर कबरी
"तुम और मैं"
मौत
नज़र
खलिश
एक नाकाम शायर का ख़त.....
एक गांव में ....
मैं ही तो हूं....
दीपावली
सोनजुही
शबनम.....
कमली
मेरे गांव का वो किसान..
"गोधरा"
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vakrachakshu
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